Thursday, July 15, 2021

नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को पाने में विफल हो सकता है ओडिशा

लेखक-मनीष कुमार



भुबनेश्वर: ओडिशा सरकार की उत्सर्जन को कम करने एवं स्वच्छ ऊर्जा की और कदम बढ़ाने की महत्वकांची योजरने की योजना बनाई थी।  

 इस लक्ष्य के अंतर्गत, सरकार ने उत्सर्जन को कम करने एवं स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने का निर्णय लिया था। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा के स्त्रोत जैसे-- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा को प्रोत्साहन देने पर जोर दिया गया था।  

परन्तु, समकालीन गति की विवेचना कहती है स्वच्छ ऊर्जा के लिए किया जाने वाला काम धीमी गति से चल रही  है। 

केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के आंकड़े कहतें है की ओडिशा में कोयले से बनी ऊर्जा  कुल बिजली उत्पादन का लगभग ६६% है, जबकि जल प्रपात ऊर्जा का हिस्सा लगभग २६ प्रतिशत है।  वही नवीकरणीय ऊर्जा केवल ७ प्रतिशत का ही योगदान दे पाती है।   ये आंकड़े जून ३०,२०२१ तक के है।  

जो विशेषज्ञ इस क्षेत्र में कार्यरत है उनका कहना है की सौर ऊर्जा ओडिशा में नवीकरणीय ऊर्जा का सबसे बड़ा भाग है जबकि पवन ऊर्जा का राज्य के बिजली उत्पादन में नगण्य स्थान रहा है।   

राज्य के बिजली विभाग के सूत्रों ने हमें बताया की एक से अधिक विभागों का एक की क्षेत्र के काम करने से असमंजस की स्तिथि पैदा हो जाती है जो पुरे योजना को प्रभावित करती है और कई बार विलम्भ का कारक भी सिद्ध होती है।  

"स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन एवं प्रोत्साहन में अनेक विभागों की मौजुदीकी एक बड़ी बाधा सिद्ध होती है।  इस राज्य में सोलर पार्क ना  होना भी स्वच्छ ऊर्जा के तरफ बढ़ाये गए हमारे कदमो को पीछे ले जाती है हालांकि कई अलग राज्यों में कई बड़े स्तर के सोलर पार्क्स देखने को मिलते है," बिजली विभाग के एक सूत्र ने हमारे बताया।  

हालांकि राज्य की सोलर पालिसी २०१६, नवीकरणीय ऊर्जा को विकसित करने वाले घटको को प्रोत्साहन देने की बात करती है किन्तु केंद्र सरकार की तरह ओडिशा में उपभोग्ताओ को सब्सिडी देने का कोई प्रावधान नहीं है।  

हमारे द्वारा संचित की गई राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े बताते है की ओडिशा आज भी नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र मे अग्रणी राज्यों की सूचि में शामिल नहीं है। ना योजनाबध तरीके से नहीं चल पा रही है ।  यदि सरकार के आंकड़ों की माने तो राज्य सरकार की  2.2 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को पाने का लक्ष्य अधूरा ही रह सकता है ।  

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