Friday, July 30, 2021

कोरापुट कॉफी: कैसे परंपरागत विधि ने बनाया एक वैश्विक ब्रांड



कोरापुट ओडिशा राज्य का एक छोटा सा ज़िला है जो अपने प्राकृतिक सम्पदा एवं आदिवासी जीवनशैली के लिए जाना जाता है। यह भारत के पूर्वर्ती इलाके में स्तिथ है। पिछले कुछ दशकों में यह ज़िला अपने उत्कृष्ट दर्जे के कॉफी उत्पादन के लिए सुर्खियों में रहा है। 

यहाँ के आदिवासी किसानों के मेहनत के बदौलत इस जिले को एक नया मुकाम प्राप्त हुआ है। यहाँ के किसानों द्वारा उगाए गए कॉफी शहरी इलाकों एवं ऑनलाइन बाजार में तहलका मचा रही है। एक छोटे से इलाके में उत्पादित कॉफी एवं उसका व्यापाक विकास किसानो की महनत एवं सरकार के प्रोत्साहन से संभव हो पाया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस ज़िले के सात ब्लाक एवं १,४५,००० हेक्टेयर भूभाग कॉफी के खेती के लिए अनुकूल है। ऐसा माना जाता है कि ऐतिहासिक तौर पर कॉफी का उद्पादन यहाँ १९३० के दशक में हुआ। उस समय के राजा बहादुर देब ने अपने निजी ज़मीन में कॉफी के पौधे लगाये एवं इसके खेती को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाये।  उनके देहांत के बाद ओडिशा सरकार ने कॉफी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वहा के किसानो का हाथ थामा । १९६० के दशक में राज्य सरकार ने कई इच्छुक किसानों को चार वर्षो में लिए ज़मीने वितरित की एवं कॉफी उत्पादन पर लगने वाले खर्च के भार भी अपने जिम्मे लिया। इससे कॉफी के खेती में किसानों द्वारा लगने वाली लागत लगभग शून्य पर आ गयी । हालाँकि कुछ वर्षो बाद प्रशाशन को ये बात समझ में आई की  केवल ज़मीन आवंटन से अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे थे ।  

वर्ष २०१७ में उस समय के जिला अधिकारी ने दूसरे संस्थानों के साथ बातचीत करके कुछ नए उपायों की समीक्षा की जिससे की इस स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा दिया जा सके एवं कोरापुट में उगायी गए कॉफी राष्ट्रीय एवं विश्व स्तर पर अपना नाम कर स्तापित कर सके । प्रशाशन एवं वहां के किसानों को उनके कॉफी  पर काफी भरोसा था और भरसक प्रयास किये गए की वहा की उत्पादित कॉफी एक नया चर्चित ब्रांड बनके उभरे।   

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