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बचपन था वह एक समय
चंचलता एवं उत्सुकता का एक समय
समय था वह स्वक्शंदाता का
समय था वह निर्भरता का
बाग़, बगीचे, गलियारों
में हम निर्भीक खेला करते थे
बचपन की मादकता में हम
अपने ही मन की सुनते थे
बचपन था वह एक समय
चंचलता अवं उत्सुकता का एक समय
याद हमें है आज भी वो दिन
वो स्वक्षंद विचरण छितिज की और
वो जागना सुबह की मधुरिम बेला में
दिन भर की मस्ती उन दिनों के
था वह एक अविस्वर्निया क्षण
वह भी था कोई एक समय
बचपन था वो एक समय
चंचलता अवं उत्सुकता का एक समय
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